अंतर्जलीय पुरातत्व विज्ञान विंग-क्षेत्रीय कार्य

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तटीय स्थल
बंगाल की खाड़ी में महाबलीपुरम से आगे की ओर अंतर्जलीय पुरातात्विक अन्वेषण
यूएडब्ल्यू ने नवम्बर, 2001 में महाबलीपुरम से आगे की ओर बंगाल की खाड़ी में अपना पहला तट से दूर अन्वेषण किया। उत्तर में सालुवंकुप्पम से दक्षिण में सादरंगपट्टनम के बीच तटीय क्षेत्रों का अन्वेषण किया गया। अंतर्जलीय अन्वेषण प्रसिद्ध तटीय मंदिर के पूर्व के क्षेत्र में किया गया, और महाबलीपुरम से आगे की ओर लगभग 500 मी. पर डूबे हुए चट्टानों की भी जाँच की गई।
एलीफेंटा द्वीप में तट से दूर और तटवर्ती अन्वेषण
तटीय परिवर्तनों और तट के निक्षेप के अध्ययन के लिए मानसून के दौरान एलीफेंटा द्वीप में तट से दूर और तटवर्ती अन्वेषण किया गया। तटीय क्षेत्र का अन्वेषण किया गया, और महत्वपूर्ण विशेषताएं और प्राचीन अवशेषों को प्रलेखित किया गया और उनकी स्थिति को सार्वभौमिक स्थानन प्रणाली की सहायता से निर्धारित किया गया। मोराबंदर के आसपास के क्षेत्र में ईंट से बने घरों के अवशेषों, पत्थर की दीवारों और अन्य अवशेषों और बड़ी संख्या में बरतन के टुकड़े बिखरे हुए हैं। एएसआई के गोताखोरों ने तट के निकट के क्षेत्र से गहरे पानी रेखा से लगभग 100 कि.मी. दूरी तक तट से दूर अन्वेषण किया। यहाँ पाया गया बड़ी संख्या में कूपी के टुकड़े इस प्राचीन बंदरगाह से समुद्री व्यापार की ओर से संकेत करता है।
बंगाल की खाड़ी में अंतर्जलीय अन्वेषण
पहले के कार्य के क्रम में यूएडब्ल्यू ने भारतीय नौ-सेना के सहयोग से बंगाल की खाड़ी में प्राचीन स्थलों और पोत अवशेष को ढूढ़ने के लिए अंतर्जलीय अन्वेषण किया। एक सर्वेक्षण जहाज आईएनएस दर्शक का उपयोग कावेरीपट्टनम, पांडिचेरी, एरिकामेडु और महाबलीपुरम से आगे की ओर तमिलनाडु और पांडिचेरी में अंतर्जलीय पुरातात्विक अन्वेषण के लिए किया गया।
कावेरीपट्टनम से आगे की ओर अन्वेषण
प्राचीन पोत अवशेष को ढूढ़ने के लिए सर्वेक्षण नौकाओं ने ध्वनिक सर्वेक्षण किया, जिसकी सूचना विसंगतियों के क्रम के साथ भारतीय नौसेना को पहले मिली थी। इस ऐतिहासिक पोत अवशेष को ढूढ़ने और इसके पुरातात्विक महत्व का पता लगाने के लिए इस क्षेत्र का अन्वेषण किया गया। 20 मी. की गहराई तक गोताखोरी की गई।
पांडिचेरी से आगे की ओर अन्वेषण
पांडिचेरी से आगे की ओर कई नाविक युद्ध हुए, जिसके परिणामस्वरूप कई जहाज डूब गए। अपने पहले के क्षेत्रीय कार्य के दौरान स्थानीय स्रोतों से यूएडब्ल्यू द्वारा एकत्रित प्रारंभिक सूचना इस क्षेत्र में कुछ पोत अवशेष होने की सलाह देता है। दो संभव पोत अवशेष स्थलों पर 22 मी. की गहराई तक गोताखोरी की गई। सर्वेक्षण नौकाओं ने भी पेंदे की विशेषताओं के अध्ययन के लिए इस क्षेत्र में साई ? साथ-साथ स्केन सोनर सर्वेक्षण किया।
एरिकामेडु से आगे की ओर अन्वेषण
गोताखोरों ने अरियानकुयाम नदी में भी अन्वेषण किया, जिसके तट पर प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल एरिकामेडु स्थित है। नदी तल बहुत छिछला था और महीन चिकनी मिट्टी और मोटे कीचड़ से ढका हुआ था। नदी तल पर सख्त धब्बे नाकचिमटी से ढके हुए हैं। छिछली गहराई के कारण कुछ क्षेत्रों में गोताखोरी केवल ऊँचे ज्वार के दौरान ही किया जा सका। तथापि उठा हुआ पानी गोताखोरी के लिए पर्याप्त गहराई प्रदान करता है, लेकिन कीचड़युक्त तल पर कार्य करना बहुत ही कठिन है क्योंकि दृश्यता बुरी तरह प्रभावित होती है क्योंकि गंदला पानी उठते हुए ज्वार के कारण बाहर नहीं जाता है।
महाबलीपुरम से आगे की ओर अन्वेषण
पहले के अंतर्जलीय अन्वेषण से पता चला था कि तटवर्ती मंदिर के निकट कुछ ढाँचा डूबा हुआ है। गोताखोरों ने 6 से 10 मी. गहराई में तटवर्ती मंदिर के पूर्व और उत्तर में डूबे हुए ढाँचे के निकट गहरी डुबकी लगाई। साथ ही स्केन सोनर सर्वेक्षण, जो 10 मी. की गहराई पर किया गया था विसंगतियों का एक क्रम दिखाता है। कुछ डूबी हुई चट्टानों और पत्थर के खंडों पर सीधा जोड़ कोणीय काट कुछ मानवीय क्रियाकलाप को दर्शाता है। लगभग 3-4 मी. गहराई पर एक गर्त की तरह बड़ी आकृति का उल्लेख करना अनुचित न होगा। सभी डूबे हुए पत्थरों और पत्थर खंडों की सतहें नाकचिमटी से ढकी हुई हैं। कम दृश्यता की वजह से इन संरचनाओं की सतह को देख पाना बहुत कठिन था। आने वाले क्षेत्र मौसम में स्थल की पूरी तरह जाँच की जाएगी। इस क्षेत्र में किनारा पंक्ति परिवर्तन के अध्ययन के लिए यहाँ अंतर्जलीय पुरातात्विक अन्वेषण बहुत ही उपयोगी होगा।
पोत-अवशेष
प्रिन्सेज रॉयल की खुदाई
यूएडब्ल्यू ने भारतीय नौसेना के सहयोग से लक्षद्वीप के पानी में एक पोत अवशेष प्रिन्सेज रॉयल की खुदाई का काम किया। प्रवाल-भित्ति के बाहरी ढलान पर 9 से 54 मी. गहराई में पड़े पोत की क्रमिक ढंग से खुदाई की गई। प्राप्त पुरावस्तुओं में लोहे का तोप, चमकदार मिट्टी के बरतन, नीला और सफेद चीनी मिट्टी के बरतन, कीलें और ताँबे का सामान आदि शामिल हैं। यह देश में अब तक किया गया सबसे गहरा पुरातात्विक उत्खनन है।