टिकट द्वारा प्रवेश वाले स्मारक-मध्य प्रदेश शाही परिसर, माण्डू
अभिलेखीय साक्ष्यों के अनुसार 555 ईसवी सन का माण्डू का प्राचीन पहाड़ी किला, जिला मुख्यालय, धार से मात्र 35 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। शैलकृत गुफाएं अर्थात् लोहानी और सात कोठरी 60 से भी अधिक संरचनात्मक स्मारकों में से सबसे पहले के हैं और स्थापत्य कला के असाधारण नमूने हैं। महत्वपूर्ण स्मारक तीन समूहों में स्थित हैं जिन्हें (1) शाही परिसर, (2) होशंगशाह का मकबरा (3) रूपमती मंडप के नाम से जाना जाता है। शाही परिसर में स्थित स्मारक जिन्हें आगंतुकों को अवश्य देखना चाहिए इस प्रकार हैं :-
1) जहाज़ महल, मुंज और कपूर तालाबों के पानी के बीच अपने लंबे आकार के निर्माण के कारण बंदरगाह पर लंगर डाले पानी के एक विशाल जहाज़ जैसा दिखाई देता है। यह महल 15वीं शताब्दी ईस्वी के अंतिम दशकों का प्रतीत होता है।
2) हिंडोला महल का शाब्दिक अर्थ ” एक झूलता हुआ महल” है। इसका यह नाम इसकी विशेष रूप से ढालू पार्श्विक दीवारों के कारण रखा गया। इस भवन की संरचना ‘टी’ आकार की है। जिसमें एक मुख्य हाल और उत्तर में आड़ा प्रक्षेपण है। यद्यपि इस हॉल की विशाल महराबी छत अब विद्यमान नहीं है परन्तु कभी इसे सहारा देने वाले ऊंचे महराबों की पंक्ति अभी तक अपनी मूल अवस्था में है। विशाल सभागार 15वीं शताब्दी ईसवी का है।
3) हमाम शाही परिसर के भीतरी भाग में स्थित है जिसमें प्रकाश की व्यवस्था के लिए छिद्रित गुम्बदों वाले स्नानागार कक्षकों का अनूठा वास्तु-विन्यास है। ये कक्षक पत्थर के फलकों पर उत्कीर्णित समानान्तर नालियों के जरिए ठंडा पानी उपलब्ध करते हैं।
सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलेंड और म्यांमार) के पर्यटक 25/-रूपए प्रति व्यक्ति
अन्य: 300/- रूपए प्रति व्यक्ति
(15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है)।