टिकट द्वारा प्रवेश वाले स्मारक-तमिलनाडु मूवर कोइल, कोदंबलूर
मूल रूप से इस मंदिर परिसर में तीन एक जैसे मंदिर थे जो एक पंक्ति में थे और पश्चिमोन्मुखी थे। इन तीनों के सामने एक महा-मंडप, एक वर्षा मंडप तथा एक गोपुर था और मुख्य मंदिर को चारों ओर से घेरे हुए 16 मंदिर छोटे देवताओं (परिवार देवताओं) के लिए थे। इनमें से केन्द्रीय तथा दक्षिणी मंदिरों को पूर्ण रूप से परिरक्षित किया गया है तथा शेष संरचनाएं केवल योजना में परिरक्षित हैं और वह भी सफाई कार्य के दौरान प्रकाश में आईं।
वेदियों का अधिष्ठान सुन्दर पद्म-पुष्कल ढंग का है। दीवारों में प्रक्षेप तथा आले (देवकोष्ठक) हैं जिन पर मकर-तोरणों की छतरियां लगी हैं। वेदियों के ऊपरी तलों में मामूली भिन्नता है किन्तु उनके ऊपर हिरणों सहित बड़े वर्गाकार शिखर लगे हैं।
केंद्रीय विमान पर एक संस्कृत अभिलेख स्पष्ट रूप से बताता है कि एक इरुक्कवेल प्रमुख, भूति विक्रमकेसरी, ने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था। उसने केंद्रीय मंदिर का नाम अपने स्वयं के नाम पर तथा पार्श्व के दो मंदिरों के नाम अपनी रानियों नामत: कर्राली तथा वरगुणा के नाम पर रखे थे। भूति विक्रमकेसरी के शासन काल के संबंध में विद्वानों के दो मत हैं। पहला तो यह कि वह चोल राजा, आदित्य प्रथम (871-907 ई0) का समकालीन था तथा दूसरा यह कि वह सुंदर चोल (957-973 ई.) तथा उनके पुत्र आदित्य-।। (960-965 ई.) का समकालीन था।
इस मंदिर की वास्तुकलात्मक शैली बाद के चोलों के मुकाबले आरंभिक चोलों के अधिक निकट है। इसकी पहचान तिरूपुदीश्वरम् के साथ की जाती है जिसका नाम इसी स्थान के मुचुकुंदेश्वर मंदिर में महिमाल्य इरूक्कुवेल के दूसरे अभिलेख में आता है।
यह मंदिर, अर्द्धनारी, भिक्षाटन, उमासहित, गंगाधर, कलारी आदि शिव रूपों की सुंदर मूर्तियों से सुसज्जित हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य देवताओं और अप्सराओं की मूर्तियां भी हैं जो असामान्य है और समकालीन चोल उदाहरणों में जिनके समररुप बहुत कम हैं।
कुल मिलाकर, दो विद्यमान भवन, खंडों के संधियोजन तथा अवयवों के संघटन के संदर्भ में समानुपाती, भव्य तथा सुनियोजित हैं।
प्रात: 9.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलेंड और म्यांमार) के पर्यटक 15/-रूपए प्रति व्यक्ति
अन्य: 200/- रूपए प्रति व्यक्ति।
(15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है)।