"Janjira Fort, Murd (Maharastra) is closed for general visitors due to foul climate condition from 26-05-2023 to 31-08-2023.""Submitting of application for Exploration / Exacavation for the field season 2022-2023 - reg."

संग्रहालय-एहोल

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पुरातत्‍वीय संग्रहालय, एहोल
(जिला बागलकोट, कर्नाटक)

एहोल (अक्षांश 16° 01′ उ., देशांतर 75° 52′ पू.) जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्‍यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के बागलकोट जिले के हुंगुंडा तालुक में स्‍थित है। यह हुंगुंडा से 21 कि.मी. पश्‍चिम और बादामी से 47 कि.मी. पूर्व, बागलकोट से 40 कि.मी. और बीजापुर से 135 कि.मी. दक्षिण में स्‍थित है। गडग-शोलापुर मीटर गेज लाइन पर स्‍थित बादामी निकटतम रेलवे स्‍टेशन है। हैदराबाद (लगभग 450 कि.मी. की दूरी पर) निकटतम हवाई अड्डा है। एहोल तक बागलकोट, बादामी और बीजापुर के बीच अनेक बसें चलती हैं।

एहोल बादामी के पूर्ववर्ती चालुक्‍यों की सांस्‍कृतिक राजधानी थी जिन्‍होंने 6वीं से 8वीं शताब्‍दी के दौरान बादामी पर शासन किया था। यह गांव वास्‍तुशास्‍त्र की दृष्‍टि से अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है। इसमें विभिन्‍न शैलियों और अवधियों में बनाए गए सौ से भी अधिक मंदिर मौजूद हैं जिसके कारण इसे उचित रूप से ‘भारतीय वास्‍तुकला का पालना’ कहा गया है।

पुरातत्‍वीय स्‍थल संग्रहालय दुर्गा मंदिर परिसर में स्‍थित है। इसे मूल रूप से 1970 में मूर्ति निर्माण-शाला के रूप में बनाया गया था और 1987 में इसे पूर्णत: संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।

इस संग्रहालय में मुख्‍य रूप से ब्राह्मण, जैन और बौद्ध मतों की पाषाण मूर्तियां, खण्‍डमय उत्‍कीर्ण की गई वास्तुशास्‍त्रीय इकाइयां, अभिलेख, वीर-पाषाण, सती-पाषाण इत्‍यादि मौजूद हैं। अवधि की दृष्‍टि से वे 6वीं ई. शताब्‍दी से 15वीं ई. शताब्‍दी के बीच की हैं। इन पुरावस्‍तुओं को संरक्षित स्‍मारकों के निकट अन्‍वेषण, उत्‍खनन और वैज्ञानिक मलवा छनाई में प्राप्‍त किया गया है। विभिन्‍न किस्‍मों की गणेश भगवान की मूर्तियां, पुराकालीन विशेषताओं वाली सप्‍तमत्रिकाएं, नटराज, जैन मत संबंधी अम्‍बिका, बोधिसत्‍व की आकर्षक मूर्तियां तथा महापाषाण काल की एक क्षतिग्रस्‍त मानव रूपी प्रतिमा कुछ महत्‍वपूर्ण प्रदर्शित वस्‍तुएं हैं।

इस संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं और एक खुली दीर्घा है। पूर्व और आद्य ऐतिहासिक तत्‍वों तथा पुरालेखों और वास्‍तुकला को प्रदर्शित करने के लिए दो दीर्घाओं को हाल ही में पुन: व्‍यवस्‍थित किया जा रहा है। एक दीर्घा में एहोल तथा विभिन्‍न स्‍मारकों सहित इसके आसपास के क्षेत्रों (मलप्रभा घाटी) के विहंगम दृश्‍य वाला नमूना मौजूद हैं। घाटी के आसपास के क्षेत्रों में महत्‍वपूर्ण संरक्षण कार्यों को उजागर करने वाले मॉडल को दीवार पर प्रदर्शित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्‍तुओं में शैव, शाक्‍त, गणपत्‍य, वैष्‍णव, जैन और बौद्ध आस्‍थाओं की मूर्तियॉं शामिल हैं। वीर-पाषाण, सती-पाषाण और शिलालेख भी खुली दीर्घा में प्रदर्शित हैं। इस खुली दीर्घा को भी पुन: व्‍यवस्‍थित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुएं प्रारंभिक मध्‍यकाल के सामाजिक-धार्मिक और सांस्‍कृतिक पहलुओं के अलावा कला एवं वास्तुकला की चालुक्‍य शैली को दर्शाते हैं।

खुले रहने का समय : 10.00 बजे पूर्वाह्न से 5.00 बजे अपराह्न तक

बंद रहने का दिन – शुक्रवार

प्रवेश शुल्‍क : 5/- रू. प्रति व्‍यक्‍ति

(15 वर्ष तक के बच्‍चों हेतु नि:शुल्‍क)

संपर्क विवरण

श्री ए.वी. नागानूर
सहायक अधीक्षक पुरातत्त्ववेत्ता, पुरातत्व संग्रहालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, एहोल – 587 201,
जिला बागलकोट, कर्नाटक
फोन: 08351-284551 (टी-एफ)

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