टिकट द्वारा प्रवेश वाले स्मारक-दिल्ली दीवान-ए-आम
दीवान-ए-आम (जनसाधारण सभागार) अगला भवन है जहां आगन्तुक पहुंचता है। मूलत: इसके सामने एक प्रांगण था। गहराई में तीन कक्षों वाले, मूल रूप से गचकारी कार्य से सुसज्जित और भारी परदों वाले सभागार को स्तंभों से निकले मेहराबों पर निर्मित किया गया है और इसके दांतेदार मेहराबों और 9 प्रवेश द्वारों वाला आकर्षक अग्रभाग है। इसके पीछे संगमरमर की एक छतरी अथवा वितान है जो बंगाल छत से ढका है और जिसके नीचे राजगद्दी है। राजा यहां आम जनता से मिलता था और उनकी शिकायतें सुनता था। बेशकीमती पत्थरों से जटित संगमरमर का एक मंच गद्दी के नीचे अवस्थित है और इसका प्रयोग प्रधानमंत्री शिकायतें और याचिकाएं प्राप्त करने के लिए करता था।


छतरी के पीछे, दीवार के अग्र भाग में बहुरंगी पत्थरों से जटित अति सुन्दर पैनल हैं जिनमें फूलों और पक्षियों का चित्रण है। ऐसा कहा जाता है ये पैनल आस्टिन बोर्डियक्स, फ्लोरेंसी जौहरी द्वारा बनाये गये थे। शीर्ष पर केंद्रीय पैनल में ग्रीक देवता, आर्फियस को अपनी वाणी के साथ दिखाया गया है। ये पैनल बहुत अधिक क्षतिग्रस्त थे और कभी इन्हें विक्टोरिया और अलबर्ट संग्रहालय, लंदन ले जाया गया था लेकिन 1903 में लार्ड कर्जन की पहल पर इन्हें वापिस लाया गया।



