“Adopt a Heritage 2.0”."Rolling Advertisement on Monuments and Antiquities documentation-reg."

केंद्रीय पुरावशेष संग्रह

main_img
 

अन्‍वेषण पुरातत्‍व संबंधी अनुसंधान के लिए पूर्वापेक्षी है तथा इस प्रक्रिया से पुरावशेषों, मृदभाण्‍ड तथा मानव के इतिहासस के अन्‍य मूल्‍यवान अवशेषों की खोज की जाती है । भारत में अन्‍वेषण वर्ष 1784 में एशियाटिक सोसाइटी की स्‍थापना से प्रारम्‍भ हुए । वर्ष 1861 में भा.पु.स. की स्‍थापना के पश्‍चात्, अन्‍वेषणों तथा उत्‍खननों में वृद्धि हुई । एलेक्‍सजेंडर कनिंगघम के अधीन भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण तथा तत्‍कालीन प्रान्‍तीय सरकारों दोनों ने गहन सर्वेक्षण किए । इससे असंख्‍य पुरावशेषों की खोज हुई ।
 

सर जान मार्शल ने संग्रह के उद्देश्‍य, इनके परिरक्षण तथा प्रलेखन के अलावा, इन पुरावशेषों को रखने के लिए वर्ष 1906 में कई स्‍थल संग्रहालयों का सृजन किया । इसका उद्देश्‍य छात्रों, विद्वानों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना तथा भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत के बारे में आम जनता को शिक्षित करना था ।

 

केन्‍द्रीय पुरावशेष संग्रह अन्‍वेषित तथा उत्‍खनित मृदभाण्‍डों तथा भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के अन्‍य पुरावशेषों के संग्रह के लिए एक केन्‍द्र है । केन्‍द्रीय पुरावशेष संग्रह की स्‍थापना 1910 में मुख्‍य रूप से सर ऑरेल स्‍टैन के केन्‍द्रीय एशियन अन्‍वेषणों (1906-1916) में अन्‍वेषित पुरावशेषों को रखने के लिए की गई थी । केन्‍द्रीय पुरावशेष संग्रह शुरू में नई दिल्‍ली में भा.पु.स. के मुख्‍य भवन में स्‍थापित किया गया था जिसे बाद में 1958 में सफदरजंग का मकबरा परिसर तथा बाद में वर्तमान स्‍थान अर्थात् पुराना किला में वर्ष 1974 में अन्‍तरित कर दिया गया था ।

 

पुराना किला के प्रकोष्‍ठों में रखे गए पुरावशेषों तथा मृदभाण्‍डों के अलावा, इसी प्रकार की वस्‍तुएं हुमायूं के मकबरे तथा सफदरजंग मकबरे में भी रखी गई हैं ।
 

संपर्क करें:

नयन आनंद चक्रवर्ती
सहा। अधीक्षक पुरातत्त्ववेत्ता
भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण
केंद्रीय पुरातनता संग्रह
पुराना किला, नई दिल्ली
फ़ोन: + 91-11-2435132 9, 24358 9 81

Facebook Twitter