महाबलीपुरम् स्मारक समूह, जिला कांचीपुरम् गुफा मंदिर
महाबलीपुरम् स्मारक समूह, जिला कांचीपुरम्
इस गुफा के सामने मंडप है जिसमें दो सिंह स्तंभ और दो भित्ति स्तंभ हैं तथा इसके आगे केंद्र में इस कक्ष की सुरक्षा दो द्वारपालों द्वारा की जाती है। मंडप के सामने की दीवारों पर चार पैनल हैं जिसमें समुद्र से पृथ्वी देवी को उठाते हुए वराह, (भूवराह पैनल), कमल पर बैठी गजलक्ष्मी जिसे हाथियों द्वारा नहलाया जा रहा है, चार भुजाओं वाली दुर्गा एवं राक्षस राजा, बाली पर त्रिविक्रम द्वारा विजय प्राप्त करना दिखाया गया है। यहां मूर्तियों का चित्रण एवं उनका प्रतिरूपण उल्लेखनीय है।





महिषमर्दिनी गुफा
इस गुफा के सामने मंडप है जिसमें तीन कक्ष, चार स्तंभ और दो भित्ति स्तंभ हैं। इस मंडप के दोनों तरफ दो बड़े पैनल हैं। इनमें से एक शेषशायी विष्णु और दूसरा महिष मर्दिनी को दर्शाता है। केंद्रीय कक्ष शिवलिंग के लिए बनाया गया है जिसके पीछे की दीवार पर सोमसकंद है।



धर्मराज मंडप
यह तीन कक्ष वाला गुफा मंदिर जिसमें विशाल स्तंभ हैं, महेंद्र वर्मन के काल का है। इस गुफा मंदिर में पल्लव ग्रंथ में अभिलेख है जिसमें इस मंदिर का नाम अत्यंतकाम पल्लवेश्वर-गृहम बताया गया है।
पंच पांडव मंडप
यह एक विशाल गुफा मंदिर है जिसके दोंनों तरफ केवल छह सिंह स्तंभ और वैसे ही दोनों ओर भित्ति स्तंभ हैं जो परिसज्जित हैं। इन स्तंभों के शीर्षो के ऊपर लगे ब्रैकेटों को सिंहो और ग्रिफिनों से सजाया गया है जिन पर मानव सवार बैठे हैं। व्याल आधार वाले ये स्तंभ और भित्ति स्तंभ चौकोर पीठ पर स्थापित हैं।
कोटिकल मंडप महेन्द्र शैली का एक छोटा अविकसित शैलकृत मंदिर है जो दुर्गा को समर्पित है। इसके अग्रभाग में दोनों तरफ दो बड़े स्तंभ और भित्ति स्तंभ दिखाई देते हैं। पीछे की दीवार के बीच में काटकर एक कक्ष बनाया गया है जिसकी सुरक्षा प्रवेश द्वार के दोनों तरफ खड़ी महिला द्वारपालों द्वारा की जाती है। यहां सातवीं सदी की लिपि-श्रीवामांकुश में अभिलेख है।
कोनेरी मंडप
यह पांच कक्ष वाला एक अपूर्ण शैलकृत मंदिर है जिसमें चार स्तंभ हैं और जिन्हें पिछले पैरों पर बैठे सिंहो द्वारा सहारा दिया गया है और जिसके पार्श्व में भित्ति स्तंभ हैं और एक केंद्रीय कक्ष है।
त्रिमूर्ति गुफा
यह अधिरचना के साथ तीन कक्ष वाला एक मंदिर है जिसके बारे में माना जाता है कि यह ब्रहमा, विष्णु एवं शिव- हिंदू देवकुल के तीन देवताओं को समर्पित है। प्रत्येक कक्ष का प्रवेश द्वार संकरे पैनलों में द्वारपालों से घिरा है।
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